मैं पेन्सिल बोल रही हूँ …. | 6 Pencil Business Lessons in Hindi
आज आप से एक पहेली पूछता हूँ….
शरीर है लकड़ी का, दिल है काला,
मेरा साथ मिले, तो ज्ञान का उजाला।
बताओ क्या ? बताओ …बताओ !
दोस्तों इस पहेली का उत्तर है – पेन्सिल.
हम सबने अपनी लाइफ में पेन्सिल यूज की है, लेकिन आज मैं एक बिजनेसमैन की लाइफ में पेन्सिल के यूज को बताऊंगा!
जी हाँ, इस पोस्ट में, मैं आपको पेन्सिल से मिलने वाले 6 सबसे ज़रूरी बिजनेस लेसंस के बारे में बात करूँगा जिनको अपना कर आप अपने बिजनेस को सफलता के शिखर पर पहुँचा सकते हैं.
नमस्कार दोस्तों, मैं अजय अजमेरा स्वागत करता हूँ आपका, आपके अपने ब्लॉग Achhikhabar(dot)com पर।
तो चलिए शुरू करते हैं..
Business Lesson Number 1: पहले Useful फिर Beautiful
एक पेन्सिल दिखने में चाहे जितनी खूबसूरत हो उसकी उपयोगिता तभी है जब वह अच्छा लिखे. हो सकता है आप एक बार आकर्षित हो कर कोई पेन्सिल खरीद भी लें, लेकिन अगर वह अच्छी नहीं चलती तो आप दोबारा उसे नहीं खरीदेंगे.
इसी तरह आप अपनी दुकान को चाहे जितना सजा लीजिये, जितनी भी लाइटिंग कर लीजिये….इन सबका मतलब तभी है जब आपका माल अच्छा हो, आपके प्रोडक्ट में दम हो…क्योंकि आपको ग्राहक को एक बार नहीं बार-बार बुलाना है!
दोस्तों, आज अजमेरा फैशन सूरत की सबसे शानदार बिल्डिंग सुराना 101 में आ गया है….हमारा चमचमाता हुआ ऑफिस काफी आकर्षक है लेकिन जब हम इससे पहले comparatively कम सुविधा वाले रघुकुल टेक्सटाइल मार्केट में थे तो भी हमारे प्रोडक्ट जैसे आज बेहतरीन डिजाईन, कलर और उच्च गुणवत्ता वाले हैं वैसे तब भी थे…. In fact अगर ऐसा नहीं होता तो हम इतना ग्रो कर ही नहीं पाते!
दोस्तों, आप अपनी दुकान के इंटीरियर और exterior पर ज़रूर ध्यान दीजिये लेकिन सबसे ज्यादा फोकस अपने प्रोडक्ट पर करिए.
और अगर एक पेन्सिल से मिलने वाली ये सीख आपको पसंद आई हो तो प्लीज इस Blog को Subscribe करते हुए आगे बढिए!
Business Lesson Number 2: पहले संघर्ष फिर सफलता
जब पेन्सिल का जन्म होता है तो उसकी लिखने की काबिलियत उसके अन्दर छिपी होती है. उसे दुनिया के सामने लाने के लिए एक पेन्सिल धैर्यपूर्वक शार्पनर की चोट सह-सह कर खुद को तराशती है, तब कहीं जा कर वह अपनी सुन्दर लिखावट और drawing से लोगों का दिल जीत पाती है.
बिजनेस में भी सफलता बिजनेस शुरू करते ही नहीं मिल जाती…आज मैं युवाओं को पहली बाधा आता ही उतावला होते हुए देखता हूँ…. एक बिजनेस छोड़ कर दुसरे पर जम्प करते हुए देखता हूँ….अपनी स्पीड से धैर्य को कुचलते हुए देखता हूँ….नतीजा असफलता, असंतोष, अवसाद!
पेन्सिल सिखाती है कि भाई आज थोड़ी तकलीफ सह लो! रात-रात भर जागकर मेहनत कर लो….दिन-दिन भर भाग कर अपना बिजनेस चमका लो….चुनौतियों से मुंह मत फेरो उनका सामना करो तभी तुम भी अपनी सफलता की कहानी लिख पाओगे!
दोस्तों, अपनी बात करूँ तो मैं भी सिर्फ 19 साल की उम्र में अपने माता-पिता, …अपने प्यारे गाँव को छोड़ कर सूरत आ गया था…और सालों-साल लगातार कड़ी मेहनत और संघर्ष करने के बाद ही अजमेरा फैशन को सूरत का सबसे बड़ा और विश्वसनीय टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरर बना पाया…
पेन्सिल कहती है हमसे….पहले तराशिये अपने हुनर को और फिर तलाशिये अपनी कामयाबी को… वो ज़रूर मिलेगी!
Business Lesson Number 3: गिरो, हारो…पर ठहरो नहीं, फिर से उठ खड़े हो!
अगर चलते-चलते पेन्सिल की नोक टूट जाती है तो क्या वह बेकार हो जाती है…. नहीं! वह फिर से शार्पनर की तेज धार से हो कर गुजरती है…. फिर से खुद को तैयार करती है और किसी भी सूरत में चलना जारी रखती है.
बिजनेस में भी आप चाहे जो कर लें उतार-चढ़ाव आने ही आने हैं. ऐसी अनदेखी, अनसोची दिक्कतें आनी हैं जो अच्छे से अच्छा strategist और planner भी नहीं सोच सकता.
पेन्सिल की शार्पनेस ख़तम हो जाना या उसकी नोक का टूट जाना, बिजनेस में आने वाली problems की तरह है. और आप इससे बच नहीं सकते….2014 में एक समय ऐसा आया था जब मेरे सभी प्रमोटर्स मुझे छोड़ कर चले गए थे, लगा सब कुछ ख़तम हो गया…लेकिन एक पेंसिल की तरह ही मैंने भी हार नहीं मानी और अपने efforts से दोबारा खड़ा हो पाया.
Business Lesson Number 4: विनम्र बनो
पेन्सिल हमें विनम्रता का भी पाठ सिखाती है…अगर उससे कहीं कोई गलती हो जाये तो वह अपने ईगो में उसे नज़रंदाज़ कर आगे नही बढ़ जाती बल्कि थोड़ा ठहरती है, अपनी गलती को realize करती है और फिर अपने इरेज़र रुपी माथे को झुका कर उस गलती को मिटाती है, उसे सुधरती है और फिर आगे बढ़ जाती है…
हम इंसानों को भी एक पेन्सिल की तरह अपनी गलतियों को एक्सेप्ट करना और उसे सुधारना आना चाहिए…
कई बार ग्राहक हमारी सुविधाओं को लेकर या हमारे प्रोडक्ट्स को लेकर नाराज़ हो सकता है. लेकिन ऐसे समय में ये नहीं सोचना चाहिए कि मैं सेठ हूँ …इतनी बड़ी दुकान का मालिक हूँ….एक ग्राहक के नाराज़ होने से क्या होता है….नहीं! बल्कि हमें genuinely अपनी गलती को realize करना चाहिए और जैसे पेन्सिल अपने अपने माथे पर लगे इरेज़र से गलतियों को मिटाती और सुधारती है हमें भी विनम्रता के साथ अपनी मिस्टेक्स को एक्सेप्ट और करेक्ट करना चाहिए!
दोस्तों, पेन्सिल की इस क्वालिटी को शेयर करना तो बनता है ….प्लीज़ इस पोस्ट को लाइक ज़रूर करिए और ऐसे लोगों के साथ शेयर करिए जो पेन्सिल की इन qualities से कुछ न कुछ सीख सकते हैं.
Business Lesson Number 5: परिस्थितयों के साथ ढलना सीखो!
पेन्सिल से कगज पर तो हम सबने लिखा है … लेकिन क्या पेन्सिल से जब हम किसी कैनवास पर लाइन खींचना चाहते हैं तो वह मना कर देती है ? क्या वह सिर्फ एक आर्किटेक्ट के हाथ में जाने के लिए रेडी होती है और एक कारपेंटर के कान पर सवार हो कर लकड़ी के ऊपर चलने से इनकार कर देती है? नहीं!
पेन्सिल हर परिस्थिति में खुद को ढाल कर अपना काम करती है… और वो ऐसा इसलिए कर पाती है क्योंकि वह बाहर से भले कितनी भी हार्ड हो अन्दर से सॉफ्ट होती है….उसके भीतर का ग्रेफाइट कहीं अड़ता नहीं…लड़ता नहीं …बल्कि अपनी कोमलता से हर सरफेस से मित्रता कर उसके अनुसार ढल जाता है!
एक बिजनेस को कामयाब बनाने के लिए ये बेहद ज़रूरी है कि हम समय, स्थान, और परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढाल लें.
कई बार दुकानदार बड़े ग्राहकों के चक्कर में छोटे ग्राहकों पर ध्यान नहीं देते… वे ये नहीं समझते कि आर्किटेक्ट और कारपेंटर दोनों important हैं.
कई बार वे पुराने ढर्रे छोड़ कर नए अपनाने में बिलकुल भी रूचि नहीं लेते….वे ये नहीं समझते कि उन्हें कागज़, कैनवास, लकड़ी हर जगह चलना आना चाहिए…. बदलते जमाने के हिसाब से उन्हें सोशल मीडिया पर एक्टिव होना चाहिए….कपड़ा व्यवसायिओं की बात करूँ तो उन्हें कम्फर्ट जोन छोड़कर ऐसे मैन्युफैक्चरर तलाशने चाहिए जो उनका मुनाफ़ा बढ़ा सकें!
यानी, एक पेन्सिल की तरह बिजनेसमैन को भी हर परिस्थति में ढलना आना चाहिए.
और दोस्तों अंत में एक बेहद ज़रूरी सीख ….
Business Lesson Number 6: कुछ ऐसा करो कि तुम्हारे जाने के बाद भी लोग तुम्हे याद करें!
एक पेन्सिल जीवन भर एक से बढ़कर एक चीजें लिखने और बनाने का काम करती है. फिर एक दिन काम करते-करते ही उसकी मृत्यु हो जाती है! यानी अब और उसका प्रयोग नहीं किया जा सकता!
हमें भी इस बात को समझना चाहिए कि हमारा समय सीमित है, हम इसे बर्बाद नहीं करें बल्कि एक पेन्सिल की तरह जब तक हम जिंदा हैं अपने काम के माध्यम से इस दुनिया को कुछ न कुछ देते रहें !
पेन्सिल के जाने के बाद भी उसकी लिखीं चीजें ख़त्म नहीं होतीं….किसी किताब के पन्नो में या किसी आर्टिस्ट की कलाकृति में वह हमेशा-हमेशा के लिए अमर हो जाती हैं और और हमारी आने वाली जनरेशन भी उस पेन्सिल के काम से लाभान्वित होती हैं.
पेन्सिल सिखाती है कि सिर्फ अपने लिए मत जियो कुछ ऐसा करो कि तुम्हारे जाने के बाद भी लोग तुम्हे याद करें, और तुम्हारे द्वारा की गई चीजें इस दुनिया का भला करती रहें.
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दोस्तों, आज अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
जय हिन्द, जय भारत
अजय अजमेरा
फाउंडर & सीईओ
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Relly grat thinking
Never thought a pencil can teach so many things… thank you sir
नज़रिया मायने रखता है। अगर देखा जाए तो इन्सान हर एक सजीव और निर्जीव वस्तु से प्रेरणा ले सकता है। हमेशा सकारात्मक रवैये के साथ जीवन को आगे बढ़ाना चाहिए। पेन्सिल की खासियत के उदाहरण द्वारा बिजनेस लेसन्स दर्शाता यह लेख सराहनीय है।
wow…maja aa gay
Great post!