प्रेमानंद महाराज की जीवनी | Premanand Maharaj Biography Hindi

प्रेमानंद महाराज का Real Name अनिरुद्ध कुमार पांडे है, वे Radha Rani के परमभक्त है. उन्हें भारत के प्रमुख आध्यात्मिक नेता कह कर संबोधित किया जाए तो गलत नहीं होगा. लोग इस संत को “हित गोविंद शरण जी महाराज” भी कहते हैं, उनका जन्म वर्ष 1972 में हुआ है, वर्तमान समय यानी की 2025 में वह 53 वर्ष के हैं, उनका जन्म स्थल ग्राम अखरी, सरसौल ब्लॉक कानपुर उत्तर प्रदेश (भारत) बताया जाता है. हिन्दू धर्म में अनन्य आस्था रखने वाले इन महात्मा ने केवल नौवीं कक्षा तक सिक्षा प्राप्त की है, केवल 13 वर्ष की आयु में उन्होंने घर छोड़ दिया और भक्ति का मार्ग अपनाया, वे आजीवन ब्रह्मचर्यव्रत रख चुके हैं, नाम जप करते हैं, सनातन धर्म और प्रभु भक्ति के माध्यम से लोगों का मार्गदर्शन करते हैं. गरीब से ले कर अमीर, आमजन से ले कर रसूखदार सभी तबके के लोग, उनके प्रवचन सुनते हैं और दर्शन करने जाते हैं. (Premanand Maharaj Biography Hindi)
प्रेमानंद महाराज के गुरु का नाम श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज है उन्होंने ही, इन्हें “निज मंत्र” दिया था, वर्तमान समय में “पांडे जी” श्रीहित राधा केली कुंज, वृंदावन परिक्रमा मार्ग उत्तर प्रदेश (भारत) में निवास करते हैं, जहाँ संतसेवा, कीर्तन, यात्रिभोज, श्रद्धालु विश्राम, दिन, दुःखी लोगों को भोजन और यथा संभव मदद के कल्याणकारी काज होते हैं.
प्रेमानंद महाराज सनातन धर्म और वेद पुराण पर गहरा ज्ञान रखते हैं. साथ ही मनुष्य को कैसे तामसी आहार त्याग करके, प्रेमपूर्वक, परोपकारी जीवन बिताना चाहिए,यह सीख देते हैं.
प्रेमानंद महाराज के शरीर की रचना
अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भगवान की भक्ति और लोक कल्याण में बिताने वाले प्रेमानंद महाराज मृदु भाषी है. उनका कद 5 फीट 5 इंच है, उनकी आंखों का रंग गहरा भूरा है.
प्रेमभावना पर प्रेमानंद महाराज की विचारधारा
मनुष्य प्रेम का भूखा होता है, दो मीठे शब्द सुन कर कोई जान देने को तैयार हो जाता है, कोई अपनी जीवनभर की पूंजी लुटा देता है, तो कोई प्रीत के मोह में राजपाट लुटा कर युद्ध कर बैठता है.
प्रेम “आनद” देता है तो विरह “असह्य वेदना”, ऐसे में प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि मनपसंद व्यक्ति का साथ मिले तो उसके साथ आदर-सम्मान से पेश आओ, उसकी रक्षा करो, उसकी ज़रूरतों का ध्यान रखो, लेकिन जब…
प्रेम असफल हो जाए, तो उसे बुरा मत बोलो, ना ही क्रोध करो, जहाँ प्रीत होती है वहां “भोग की भावना” होती ही नहीं है, वहां तो बस साथ और सहकार देने की पवित्र ईच्छा होती है.
अगर प्रियतम दूर जाना चाहे तो उसे जाने दो,
वह दुखों में घिर जाए तो मदद करो,
वो किसी और को चुन ले तो संपर्क ना करो,
ज़रूरी नहीं है कि, सामने या साथ रह कर प्रेम का प्रदर्शन किया जाए, दूर रह कर भी, सदैव यह सुनिश्चित करें की उसके जीवन में कोई कष्ट न आए. यही प्रेम की उत्तम परिभाषा है.
प्रेमानंद महाराज द्वारा मार्गदर्शित धार्मिक कार्य
स्वयं के उद्धार के लिए “संत” प्रभु-भक्ति तो करते ही हैं, लेकिन सांसारिक जीवों की उन्नति, प्रगति और सुरक्षा के लिए भी कार्यरत रहते हैं, इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए प्रेमानंद महाराज ने श्री हित राधा केली कुंज ट्रस्ट की स्थापना की है, जो वृन्दावन में तीर्थयात्रियों और साधु-सेवकों को शुद्ध भोजन, निर्मल स्वच्छ आवास, लाभदायी चिकित्सा आदि सुविधाएँ प्रदान करता है. इसके अलावा अपने प्रवचन, ज्ञानवाणी और अनुभव को साझा कर के लोगों का मार्गदशन करते हैं.
प्रेमानंद महाराज से आशीर्वाद लेने आते हैं कई सेलेब्रिटी

गरीब और मध्यमवर्ग के लोगों का “झूकाव” ईश्वर की और होना आम बात है, उनकी ऐसी मान्यता होती है कि, भगवान को संत प्रिय होते हैं, वे उनके पास जा कर अपनी व्यथा सुनाएंगे तो जल्द अपने हालात बेहतर बनेंगे, लेकिन प्रेमानंद जी का व्यक्तित्व इतना तेजवंत और चुम्बकीय है कि बड़े बड़े उद्योगपति, खेलवीर, नेता, बाबू और विदेशी हस्तियां जिन्हें कोई कमी नहीं है, वे उनके दर्शन को आते हैं, इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं, कि उनकी लोकप्रियता क्या है.
धर्म प्रचारक संत प्रेमानंद महाराज की प्रमुख शिक्षाएं
गुरु भक्ति : कहावत है कि, गुरु बिना ज्ञान नहीं आता, यह संत भी गुरुदेव की आज्ञापालन की सीख देते हैं.
ब्रह्मचर्य पालन : कामुक व्यक्ति क्रॉध और मोह से नाता तोड़ नहीं पाता, इस लिए महाराज ब्रह्मचर्य व्रत की बात करते हैं.
नाम जप : शुद्ध अंतःकरण से की गई प्राथना सुनी जाती है, इस लिए प्रेमानंद महाराज नाम जप करने की सीख देते हैं.
सरल जीवन : आधुनिक चीजें सुख देती है, परंतु शीग्र ही नई इच्छा जागृत हो जाती है, वह तृप्त हुई तो ख़ुशी, ना हुई तो दुख और संताप, इस लिए यह राधा-रानी के भक्त सरल जीवन बिताने की अपील करते हैं.
प्रेम और क्षमा : महात्मा प्रेमानंद कहते हैं, कि शत्रु को शत्रुता से हराया जा सकता है, लेकिन उसका मन जीतना है तो प्रतिघात का विचार छोड़ कर विनम्रता और प्रेम से बर्ताव करें, सतर्कता अनिवार्य है लेकिन बैर मन से हटा कर अच्छा व्यवहार करने का प्रयत्न करें.
संत प्रेमानंद महाराज से जुड़े विवाद

1. प्रदीप मिश्रा का अशोभनिय बयान
वर्ष 2024 की बात है, कथावाचक प्रदीप मिश्रा का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, उसे वीडियो में उन्होंने कहा था, की राधा रानी बरसाना की निवासी नहीं है, उन्होंने यह भी कहा की राधा रानी का नाम श्री कृष्ण भगवान की पत्नियों में शामिल नहीं है
उन्होंने और आगे टिप्पणी करते हुए कहा, की राधा रानी के पति का नाम अनेय घोष है. उनकी सास का नाम जटिला और ननंद का नाम कुटिला है
अपनी भ्रामक बातों को और आगे प्रदीप मिश्रा ने कहा की राधा रानी का गांव तो रावल गांव है, और उनके पिता बरसाना में एक दरबार थे.
इस तरह की अनर्गल बातें सुनकर महाराज प्रेमानंद जी भड़क गए, उन्होंने करारा जवाब देते हुए कहा, आप किस राधा रानी की बात कर रहे हैं? आप राधा रानी को नहीं जानते, अगर जान गए तो आंसुओं वाला संवाद होगा.
गौरतलब है कि महाराज प्रेमानंद राधा रानी के भक्ति हैं, उनकी आराध्या देवी के खिलाफ बिना तथ्यों के इस तरह की बातें अगर कोई करता है तो उन्हें क्रोध आना स्वाभाविक है. इस वजह से उन दोनों के बीच तब तीखी नोक जोक हुई थी
2. खुशबू पाटनी द्वारा संत समाज का अपमान
Bollywood की मशहूर अभिनेत्री दिशा पाटनी का नाम तो आपने सुना ही होगा, इस अभिनेत्री की एक और बहन है जिसका नाम खुशबू पाटनी है, यह एक आर्मी वूमेन रह चुकी है, उन्होंने स्वामी प्रेमानंद पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. जिस वजह से बहुत विवाद हुआ था.
दरअसल प्रेमानंद महाराज ने अपने एक प्रवचन के दौरान, ऐसा कहा था कि 100 में से केवल 4 लड़कियां ही पवित्र होती है.
महाराज के शब्दों को तो लोगों ने पकड़ लिया, लेकिन बात का संदर्भ नहीं समझा, वे लोगों को यह समझना चाहते थे, की जो महिला केवल भोग-विलास के लिए अलग अलग पुरुषों की संगति करती है, वह एक पुरुष की सगी नहीं हो सकती, क्योंकि उसे किसी न किसी बात पर उसमें कोई कमी खलती रहेगी.
पूरा संवाद वर्तमान संजोग पर आधारित था, जहां पर महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर आधे अधूरे कपड़े पहन कर अशोभनीय हरकतें करते पाई जाती है, या फिर अपने साथी के प्रति वफादार नहीं रहती हैं, ऐसी चरित्रहीन महिलाओं पर टिप्पणी गई थी, लेकिन सनातन धर्म विरोधी तत्वों ने इसे समग्र महिला जाती विरोधी बयान बताकर विवाद खड़ा कर दिया था.
आग में घी झोंकते हुए, खुशबू पाटनी ने वीडियो शेयर किया जिसमें उसने स्वामी प्रेमानंद, स्वामी अनिरुद्ध आचार्य और ऐसे कथावाचक संतो को पाखंडी ढोंगी और महिला विरोधी बताते हुए उनके लिए अभद्र शब्दों का प्रयोग किया था.
इसी मामले की गंभीरता को देखते हुए, हिंदू धर्म और सनातन में गहरी आस्था रखने वाले लॉरेंस बिश्नोई और उनके साथियों द्वारा खुशबू पाटनी को अंजाम भुगतने
ने की बात कही गई थी, इस घटना के बाद दिशा पाटनी के बरेली वाले घर पर दो अज्ञात शक्षों ने फायरिंग भी की, लेकिन यूपी पुलिस ने जल्द ही उन्हें खोज कर एनकाउंटर कर दिया था.
प्रेमानंद महाराज से जुड़े तथ्य (Facts)

जब वे नौवीं कक्षा में थे तभी उन्होंने परिवार छोड़कर, आध्यात्म की राह पर आगे बढ़ने का निश्चय किया, यह बात उन्होंने अपनी माता को बताई थी. 13 वर्ष की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया.
प्रेमानंद महाराज के दादा भी भक्ति भाव में विश्वास रखते थे. वे एक सन्यासी थे. प्रेमानंद महाराज को स्कूली पढ़ाई में कोई रुचि नहीं थी, वह बस आध्यात्म की राह पर ज्ञान प्राप्त करना चाहते थे.
इंस्टाग्राम और युटुब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके प्रवचन वीडियो वायरल होते रहते हैं. प्रेमानंद महाराज के पिता का नाम शंभू पांडे है और माता श्री का नाम रामादेवी है.
बचपन से ही उन्हें श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी और श्री राम जय राम जय जय राम का जाप करना अच्छा लगता था. हित गोविंद शरणजी महाराज (प्रेमानंद महाराज) अविवाहित है और ब्रह्मचर्य का पालन करते हैं.
श्री अनिरुद्ध कुमार पांडे का उद्देश्य
प्रेमानंद महाराज का लक्ष्य मानव जन्म, जीवन और मृत्यु के पीछे छिपे सत्य की खोज करना है, साथ ही आमजन को प्रभुभक्ति, नाम जप और त्याग भावना का अर्थ समझाना है, वे मनुष्यों को स्वार्थ, काम, क्रॉध, मोह और लोभ जैसे दुर्गुणों से ऊपर उठ कर सरल जीवन जीने की सीख देने का “परोपकारी उद्देश्य” रखते हैं.
QNA (प्रेमानंद महाराज की जानकारी)
Q – किस उम्र में प्रेमानंद महाराज ने घर छोड़ दिया?
A – 13 वर्ष की आयु में उन्होंने घर त्यागने का निर्णय लिया.
Q – प्रेमानंद महाराज का वास्तविक नाम बताएं?
A – उनका वास्तविक नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है.
Q – अनिरुद्ध कुमार पांडे मूलतः कहाँ के निवासी है?
A – अनिरुद्ध कुमार पांडे (प्रेमानंद महाराज) सर्सौल ब्लॉक, अखरी गाँव, कानपूर जिला, उत्तरप्रदेश से है.
Q – प्रेमानंद महाराज कौनसी आध्यात्मिक परंपरा में विश्वास रखते हैं?
A – वे “राधा रानी” की आराधना करते हैं और Radha Vallabh सम्प्रदाय के पथ पर चलते हैं.
Q – प्रेमानंद महाराज की साधना की शुरुआत कहाँ से हुई?
A – वे शुरआत में गंगा किनारे (वाराणसी के अलग अलग घाट पर) कठिन तपस्या करते थे. जो मिलता था वही ग्रहण करते थे.
Q – प्रेमानंद महाराज के गुरु का नाम बताएं?
A – उनके गुरु एक से अधिक हो सकते हैं, लेकिन प्रमुख गुरु जिन्होंने उन्हें “निज मंत्र” दिया उनका नाम श्री हित गौरांगी शरण जी महाराज है, वे “बड़े गुरुजी” के नाम से भी जाने जाते हैं.
Q – प्रेमानंद महाराज का वर्तमान स्थान बताएं?
A – उत्तरप्रदेश के वृंदावन में प्रेमानंद महाराज का आश्रम और सेवा-केंद्र स्थापित है.
Q – संत प्रेमानंद महाराज भक्तों से कैसे जुड़ते हैं?
A – वे सोशल मीडिया पर बहुत प्रसिद्ध है, उनके सत्संग और प्रवचन के Videos और Reels ऑनलाइन वाइरल होते रहते हैं, जिनमें वे लोगों का “धार्मिक मार्गदशन” करते हैं.
Q – प्रेमानंद महाराज के शिक्षा छोड़ने का कारण क्या है?
A – वे अल्प आयु में समझ चुके थे की पारम्परिक शिक्षा जीवन के गूढ़ प्रश्नों का उत्तर नहीं दे सकती, इसलिए आध्यात्म की राह चुनी.
Q – प्रेमानंद महाराज को क्या हेल्थ प्रॉब्लम है?
A – वे पॉलीसिस्टिक किडनी डिज़ीज़ से त्रस्त है, इस लिए नियमित डायलिसिस की जरुरत पड़ती है.
Q – साधु प्रेमानंद के आश्रम में क्या क्या प्रवृति होती है?
A – उनके आश्रम में श्रद्धालु, तीर्थयात्रियों के लिए आवास-भोजन-चिकित्सा सुविधा तथा साधुओं का रख-रखाव, भजन-सत्संग ज्ञानवाणी आदि कल्याणकारी प्रवुति होतीं है.
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राधे राधे… प्रेमानंद महाराज जी का जीवन सच्चे संतत्व की प्रेरणा है। उनके शब्द आत्मा को शांति देते हैं और जीवन के हर संकट में प्रकाश बनकर मार्ग दिखाते हैं। जय श्री कृष्ण!
Great article! Bhaut achha laga.