तो पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते हो ??? भारत में रहते हो भारत का खाते हो फिर भी मुंह छिपाकर झंडे पाकिस्तान के फहराते हो जब ये ही करना है तुमको…. तो पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते हो? --- आतंकियों से प्यार जताते हो जनाजों में उनके उमड़े चले जाते हो भूकंप बाढ़ तूफानों में फिर सेना-सेना क्यों चिल्लाते हो जब ये ही करना है तुमको…. तो पाकिस्तान क्यों नहीं चले जाते हो? --- भारत की जीत पर मातम पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाते हो जिस मिट्टी में तुमने जन्म लिया उससे गद्दारी कर जाते हो जब ये … [Read more...]
“माँ” – मदर्स डे पर कविता
Happy Mother's Day मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं "माँ" - मदर्स डे पर कविता कोई अौर झुलाता है झूले मैं तो भी रो जाता हूँ, मैं तो बस अपनी माँ की थपकी पाकर ही सो पाता हूँ। --- कुछ ऐसा रिश्ता है मेरा मेरी माँ से दर्द वो ले लेती है सारे और मैं बस मुस्कुराता हूँ। --- यूँ तो जमाने के नजरों मैं मैं बड़ा हो गया हूँ, पर दूर जब माँ से होता हूँ तो रो जाता हूँ। --- चारदिवारी से घिरा वो कमरा बिन तेरे घर नहीं लगता माँ, मैं हर रोज अपने ही कमरें मैं मेहमान हो जाता हूँ। --- जब भी … [Read more...]
बिहारी के 20 प्रसिद्द दोहे हिंदी अर्थ सहित Bihari Ke Dohe
बिहारी के दोहे हिंदी अर्थ सहित Bihari Ke Dohe With Meaning in Hindi कौन थे बिहारी? बिहारी के नाम से विख्यात महाकवि बिहारीलाल रीति काल के प्रसिद्द कवि थे जो अपनी रचना सतसई (buy now) के लिए जाने जाते हैं। सन 1600 के आसपास ग्वालियर में जन्मे बिहारी जी के बारे में अधिक जानने के लिए यहाँ जाएं। आइये आज AchhiKhabar.Com पर हम महाकवि बिहारी के 20 प्रसिद्द दोहों का अर्थ सहित संकलन देखते हैं: 1. दृग उरझत, टूटत कुटुम, जुरत चतुर-चित्त प्रीति। परिति गांठि दुरजन-हियै, दई नई यह रीति।। भाव:- प्रेम की … [Read more...]
सेना की जान ज़रूरी है! | पुलवामा अटैक पर कविता
देशभक्ति पर कविता / Hindi Poem on Patriotism सेना की जान जरूरी है, या जबरन का मानवाधिकार जरूरी है? --- जब बात देश की गरिमा की हो, तो क्या अभिव्यक्ति का अधिकार जरूरी है? --- बात बहुत हुई बरसों-तरसों, अब एक लात जरूरी है।। --- छोड़ो करना चर्चा टेबल पर, सर्जिकल स्ट्राइक दो-चार जरूरी है।। --- जब तक ख़तम हों ना जाएं ये कीड़े, गोली की बौछार जरूरी है।। --- बुजदिल हमला करते छिप-छिप कर हम पर, अब कुनबे मेें भी उनके हाहाकार जरुरी है।। --- चोटिल होती माँ की ममता घायल आँचल जिनसे … [Read more...]
न मैं हूं महान… न तुम हो महान!
न मैं हूं महान... न तुम हो महान ( Hindi Poem on Importance of Teamwork ) छिड़ी हुई है हाथ की उंगलियों में लड़ाई चारों कर रही हैं, अपनी महत्वता की अगुवाई --- मध्यमा बोली, मैं हूं महान कद में हूं ऊंची, तुम करो सम्मान हो तुम मेरे, पहरेदार मेरी रक्षा, तुम्हारा है काम --- कनिष्ठा बोली, ज़रा करो नमस्कार मेरे पीछे, दिखते हो तुम चार.. कद में चाहे, मैं छोटी हूं, लेकिन, प्रथम मैं आती हूं। --- कनिष्ठा पर हंसती, अनामिका बोली मैं हूं, सौन्दर्य की मलिका मुझपे चढ़ता अंगुठी का … [Read more...]
ये मत सोचो कि…
Motivational Poem in Hindi प्रेरणादायक हिंदी कविता Friends, मैं आम तौर पे poems नहीं पब्लिश करता...लेकिन मुझे ये कविता इनती inspiring लगी की मैंने सोचा ये आपके साथ ज़रूर share की जानी चाहिए। इस कविता को सिर्फ पढ़िए नहीं बल्कि इसमें कही गयी बातों को थोड़ा सोचिये। "सोचना" आसान है पर सही चीज "सोचना" कठिन है। And, I am sure, इस पोएम को पढ़ कर आपको सही दिशा में सोचने में ज़रूर कुछ मदद मिलेगी। ये मत सोचो कि... ये मत सोचो कि तुम्हारे पास क्या नहीं है; बल्कि, उसे सराहो जो तुम्हारे पास है और जो हो … [Read more...]
माँ – Hindi Poem on Mother
Happy Mother's Day मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं माँ - A Hindi Poem on Mother कब्र के आगोश में जब थक के सो जाती है माँ, तब कहीं जाकर थोड़ा सुकून पाती है माँ, फिक्र में बच्चों के कुछ ऐसे ही घुल जाती है माँ, नौजवा होते हुए बूढ़ी नज़र आती है माँ, कब ज़रूरत हो मेरे बच्चे को इतना सोच कर, जागती रहती है आँखें और सो जाती है माँ, रूह के रिश्तों की ये गहराईयाँ तो देखिये, चोट लगती है हमे और चिल्लाती है माँ, लौट कर वापस सफर से जब भी घर आती है माँ, डाल कर बाहें गले में सर को सहलाती है … [Read more...]
बचपन : बाल दिवस पर यह कविता आपको अपना बचपन याद दिला देगी!
:) बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं :) बचपन पक्की सड़कें, ऊंचे घर हैं चारो ओर मगर, बचपन की वो कच्ची गलियां भूल नहीं सकता। मंहगी-मंहगी मोटर हैं, कारें हैं चारों ओर, पर वो घंटी वाली लाल साइकिल भूल नहीं सकता। झूले वाले आ जाते हैं अक्सर यहां मगर, जाने क्यों वो पेड़ की डाली भूल नहीं सकता। चाकलेट और टाफी के डिब्बे घर में रखे हैं फिर भी खट्टा मिट्ठा चूरन अपना भूल नहीं सकता। मोबाइल ने बना दिया है सब कुछ बड़ा सरल, पर जाने क्यूं वो पोस्टकार्ड निराला भूल नहीं सकता। सौ - सौ चैनल टीवी पर आते … [Read more...]
तुलसीदास जी के प्रसिद्द दोहे हिंदी अर्थ सहित | Tulisdas Ji Ke Dohe
गोस्वामी तुलसीदास जी के दोहे Tulsidas Ji Ke Dohe With Meaning in Hindi श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास जी हिंदी साहित्य के महान कवि थे| तुलसीदास जी के दोहे ज्ञान-सागर के समान हैं| आइये हम इन दोहों को अर्थ सहित पढ़ें और इनसे मिलने वाली सीख को अपने जीवन में उतारें. ---1--- राम नाम मनिदीप धरु जीह देहरीं द्वार | तुलसी भीतर बाहेरहुँ जौं चाहसि उजिआर || अर्थ: तुलसीदासजी कहते हैं कि हे मनुष्य ,यदि तुम भीतर और बाहर दोनों ओर उजाला चाहते हो तो मुखरूपी द्वार की जीभरुपी देहलीज़ पर … [Read more...]
101 प्रसिद्द कबीर दास जी के दोहे Kabir Ke Dohe
कबीर दास जी के दोहे / Kabir Ke Dohe संत कबीर दास के दोहे गागर में सागर के समान हैं। उनका गूढ़ अर्थ समझ कर यदि कोई उन्हें अपने जीवन में उतारता है तो उसे निश्चय ही मन की शांति के साथ-साथ ईश्वर की प्राप्ति होगी। Related: संत कबीर दास जीवनी Name Kabir Das / कबीर दास Born ठीक से ज्ञात नहीं (1398 या 1440) लहरतारा , निकट वाराणसी Died ठीक से ज्ञात नहीं (1448 या 1518) मगहर Occupation कवि, भक्त, सूत कातकर कपड़ा बनाना Nationality भारतीय कबीर दास जी के … [Read more...]