Mahatma Gandhi Inspirational Stories in Hindi
गाँधी जी के जीवन के प्रेरक प्रसंग
प्रसंग 1
गाँधी जी देश भर में भ्रमण कर चरखा संघ के लिए धन इकठ्ठा कर रहे थे. अपने दौरे के दौरान वे ओड़िसा में किसी सभा को संबोधित करने पहुंचे . उनके भाषण के बाद एक बूढी गरीब महिला खड़ी हुई, उसके बाल सफ़ेद हो चुके थे , कपडे फटे हुए थे और वह कमर से झुक कर चल रही थी , किसी तरह वह भीड़ से होते हुए गाँधी जी के पास तक पहुची.
” मुझे गाँधी जी को देखना है.” उसने आग्रह किया और उन तक पहुच कर उनके पैर छुए.
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फिर उसने अपने साड़ी के पल्लू में बंधा एक ताम्बे का सिक्का निकाला और गाँधी जी के चरणों में रख दिया. गाँधी जी ने सावधानी से सिक्का उठाया और अपने पास रख लिया. उस समय चरखा संघ का कोष जमनालाल बजाज संभाल रहे थे. उन्होंने गाँधी जे से वो सिक्का माँगा, लेकिन गाँधी जी ने उसे देने से माना कर दिया.
” मैं चरखा संघ के लिए हज़ारो रूपये के चेक संभालता हूँ”, जमनालाल जी हँसते हुए कहा ” फिर भी आप मुझपर इस सिक्के को लेके यकीन नहीं कर रहे हैं.”
” यह ताम्बे का सिक्का उन हज़ारों से कहीं कीमती है,” गाँधी जी बोले.
” यदि किसी के पास लाखों हैं और वो हज़ार-दो हज़ार दे देता है तो उसे कोई फरक नहीं पड़ता. लेकिन ये सिक्का शायद उस औरत की कुल जमा-पूँजी थी. उसने अपना ससार धन दान दे दिया. कितनी उदारता दिखाई उसने…. कितना बड़ा बलिदान दिया उसने!!! इसीलिए इस ताम्बे के सिक्के का मूल्य मेरे लिए एक करोड़ से भी अधिक है.”
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प्रसंग 2
रात बहुत काली थी और मोहन डरा हुआ था. हमेशा से ही उसे भूतों से डर लगता था. वह जब भी अँधेरे में अकेला होता उसे लगता की कोई भूत आसा-पास है और कभी भी उसपे झपट पड़ेगा. और आज तो इतना अँधेरा था कि कुछ भी स्पष्ठ नहीं दिख रहा था , ऐसे में मोहन को एक कमरे से दूसरे कमरे में जाना था.
वह हिम्मत कर के कमरे से निकला ,पर उसका दिल जोर-जोर से धडकने लगा और चेहरे पर डर के भाव आ गए. घर में काम करने वाली रम्भा वहीँ दरवाजे पर खड़ी यह सब देख रही थी.
” क्या हुआ बेटा?” , उसने हँसते हुए पूछा.
” मुझे डर लग रहा है दाई,” मोहन ने उत्तर दिया.
” डर, बेटा किस चीज का डर ?”
” देखिये कितना अँधेरा है ! मुझे भूतों से डर लग रहा है!” मोहन सहमते हुए बोला.
रम्भा ने प्यार से मोहन का सर सहलाते हुए कहा, ” जो कोई भी अँधेरे से डरता है वो मेरी बात सुने: राम जी के बारे में सोचो और कोई भूत तुम्हारे निकट आने की हिम्मत नहीं करेगा. कोई तुम्हारे सर का बाल तक नहीं छू पायेगा. राम जी तुम्हारी रक्षा करेंगे.”
रम्भा के शब्दों ने मोहन को हिम्मत दी. राम नाम लेते हुए वो कमरे से निकला, और उस दिन से मोहन ने कभी खुद को अकेला नहीं समझा और भयभीत नहीं हुआ. उसका विश्वास था कि जब तक राम उसके साथ हैं उसे डरने की कोई ज़रुरत नहीं.
इस विश्वास ने गाँधी जी को जीवन भर शक्ति दी, और मरते वक़्त भी उनके मुख से राम नाम ही निकला.
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प्रसंग 3
कलकत्ता में हिन्दू- मुस्लिम दंगे भड़के हुए थे. तमाम प्रयासों के बावजूद लोग शांत नहीं हो रहे थे. ऐसी स्थिति में गाँधी जी वहां पहुंचे और एक मुस्लिम मित्र के यहाँ ठहरे. उनके पहुचने से दंगा कुछ शांत हुआ लेकिन कुछ ही दोनों में फिर से आग भड़क उठी. तब गाँधी जी ने आमरण अनशन करने का निर्णय लिया और 31-Aug-1947 को अनशन पर बैठ गए. इसी दौरान एक दिन एक अधेड़ उम्र का आदमी उनके पास पहुंचा और बोला , ” मैं तुम्हारी मृत्यु का पाप अपने सर पर नहीं लेना चाहता, लो रोटी खा लो .”
और फिर अचानक ही वह रोने लगा, ” मैं मरूँगा तो नर्क जाऊँगा!!”
“क्यों ?”, गाँधी जी ने विनम्रता से पूछा.
” क्योंकि मैंने एक आठ साल के मुस्लिम लड़के की जान ले ली.”
” तुमने उसे क्यों मारा ?”, गाँधी जी ने पूछा.
” क्योंकि उन्होंने मेरे मासूम बच्चे को जान से मार दिया .”, आदमी रोते हुए बोला.
गाँधी जी ने कुछ देर सोचा और फिर बोले,” मेरे पास एक उपाय है.”
आदमी आश्चर्य से उनकी तरफ देखने लगा .
” उसी उम्र का एक लड़का खोजो जिसने दंगो में अपने मात-पिता खो दिए हों, और उसे अपने बच्चे की तरह पालो. लेकिन एक चीज सुनिश्चित कर लो की वह एक मुस्लिम होना चाहिए और उसी तरह बड़ा किया जाना चाहिए.”, गाँधी जी ने अपनी बात ख़तम की.
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Aj modi ji gandhi ji ke saman kam kar rahe h i proud on modi ji jo hamare desh ke P.M. h i have so happy from modi ji agar hi sakta to m every time modi ji ki help m age rahta i want to be a good helper for my india
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Agar aaj hamre desh mai Bappu Hote to Itna Bura Haal Hamre Desh Ka Nahi Hota
Agar bhagwan mere paas Aa ke bole bolo tumhe kya vardan chahiye toh mai bolunga Is desh ko Gandhi ji fir se de dijiye.
Mujhe is baat ki khushi hai hamare desh ko Modi ji jaise Pradhan Mantri Mile.
lekin Is baat ka bhi dukh hai ki ab hame Gandhi ji jaise koi Mahapurush nahi milega.
Maine aaj tak gandhi ji ko desh k batware k liye jimmedar samjha lekin aaj manta hu gandhi ji jaise mahapurus phir kabhi nhi milege is desh ko