Hindi Essay on Diwali
दीवाली पर निबंध
भारत त्योहारों का देश है. यहाँ होली, दिवाली, ईद, और क्रिसमस समेत सैकड़ों पर्व हर साल मनाये जाते हैं. लेकिन अगर बात सबसे पसंदीदा और मौज-मस्ती वाली पर्व की की जाए तो उनमे दिवाली का नाम प्रमुखता से आता है. आइये आज हम AchhiKhabar.Com इसी पर्व के बारे में विस्तार से जानते हैं.
दीपावली पर निबंध
कुछ ही दिनों बाद हम भारत के सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहारों में से एक “दीपावली” मनाएंगे। ईश्वर की कृपा से आप सबके लिए यह पर्व मंगलमय हो!
दीपावली मनाते समय हमारा हृदय निर्मल, मन प्रसन्न, चित्त शांत, शरीर स्वस्थ एवं अहंकार…‘शून्य’ हो –ऐसी ही अनुनय विनय है भगवान् श्री राम के चरण-कमलों में. इस पावन-पर्व को मनाने के पीछे एक अत्यंत गौरवमय इतिहास है.
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दीपावली का इतिहास
कहते हैं कि त्रेता युग में अयोध्या के राजा; राजा दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र जिन्हें संसार “मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम” के नाम से जानता है, जब पिता की वचन-पूर्ति के लिए चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अपनी पत्नी सीता जी एवं अनुज लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे तो नगर वासियों ने उनके स्वागत के लिए, अपनी खुशी प्रदर्शित करने के लिए तथा अमावस्या की रात्रि को भी उजाले से भरने के लिए घी के दीपक जलाये थे. तभी से हर साल हम उस दिन को याद करते हुए दीपावली का उत्सव मानते हैं.
यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीते के प्रतीक दशहरा पर्व के ठीक 20 दिन बाद मनाया जाता है क्योंकि राम जी रावण का वध करने के 20 दिन बाद ही अयोध्या लौटे थे.
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इस पावन इतिहास के अतिरिक्त-
- जैन धर्म के अनुयायिओं का मत है कि दीपावली के ही दिन महावीर स्वामी जी को निर्वाण मिला था.
- सिख धर्म को मनानेवाले कहते हैं कि इसी दिन उनके छठे गुरु श्री हर गोविन्द सिंह जी को जेल से रिहा किया गया था.
धनतेरस व छोटी दिवाली
यह त्यौहार भारत के लगभग सभी प्रान्तों में अत्यंत हर्षोल्लास के साथ कार्तिक मास की अमावस्या पर, तीन दिनों तक मनाया जाता है. अमावस्या से दो दिन पहले, त्रयोदशी ‘धनतेरस’ के रूप में मनाई जाती है. घरों में स्वच्छता एवं साफ़–सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाता है. दरअसल, इस दिन भगवान् धन्वन्तरी जी प्रकट हुए थे, जो सबको अच्छी सेहत देते हैं लेकिन अब यह दिन कोई न कोई नया बर्तन, सोना, चांदी आदि खरीदने के रूप में प्रसिद्द हो गया है.
उसके बाद, अगला दिन चतुर्दशी- ‘नरक-चतुर्दशी’ या छोटी दीपावली के नाम से प्रसिद्ध है.क हते है कि इस दिन भगवान् श्री कृष्ण ने नरकासुर नाम के दैत्य का वध किया था. तीनों ही दिन रात्रि में दीप जलाए जाते हैं.
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ऐसे मनाते हैं दिवाली
दीपावली के दिन लक्ष्मी जी एवं गणेश जी का पूजन अत्यंत श्रद्धा एवं आस्था के साथ किया जाता है. तरह–तरह के व्यंजन एवं खील बताशों से उन्हें भोग लगाया जाता है. सब लोग नये वस्त्र पहनते हैं. खूब पटाखे चलाते हैं. अपने रिश्तेदारों एवं मित्रों को शुभ-कामनाएं एवं उपहार देते हैं, मिठाई खिलाते हैं.
दीपावली की रात में “काली पूजन” भी किया जाता है तथा इस रात को “महानिशा” भी कहा जाता है. लगभग आधी रात के समय कई लोग किसी भी एक मन्त्र का एक अथवा आधे घंटे तक निरंतर जाप करते हैं जिसे अत्यंत पुण्यकारी माना गया है. दीपावली-पूजन के साथ ही व्यापारी नये बही-खाते प्रारम्भ करते हैं और अपनी दुकानों, फैक्ट्री, दफ़्तर आदि में भी लक्ष्मी-पूजन का आयोजन करते हैं. खूब मिठाइयाँ बांटते हैं. एक बात अत्यंत महत्त्वपूर्ण है कि दीपावली पर एक दीये से ही दूसरा दीया जलाया जाता है और यह संदेश स्वतः ही प्रसारित हो जाता है कि-
जोत से जोत जलाते चलो, प्रेम की गंगा बहाते चलो.
विभिन्न राज्यों में दिवाली
भले ही यह त्यौहार पूरे भारत में बेहद भव्य रूप से मनाया जाता है फिर भी उत्तर भारत और गुजरात में दीपावली की छटा निराली ही होती है. दीपावली से चार दिन पहले; एकादशी से प्रारम्भ करके, दीपावली के दो दिन बाद तक यानि कि भाई-दूज तक दीपावली की रोशनी से हर घर, गली, चौराहा जगमगाते रहते हैं. पकवान तो इतने बनाये जाते हैं कि जैसे माँ अन्नपूर्णा ने अपने भंडार ही खोल दिए हों.
रंग-बिरंगी ‘रंगोली’ हर द्वार की शोभा में चार चाँद लगाती है. फूलों, आम के अथवा अशोक वृक्ष के पत्तों से बने तोरणों से घरों के मुख्य द्वार सजाये जाते हैं. पटाखों की भी काफी भरमार होती है. दीपावली से अगला दिन “नव वर्ष” के रूप में मनाया जाता है,सब एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं.
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स्मरणीय है कि नववर्ष के दिन सूर्योदय से पूर्व ही गलियों में नमक बिकने आता है जिसे “बरकत” के नाम से पुकारते हैं और वह नमक सभी लोग खरीदा करते हैं. उससे अगले दिन “भाईदूज” का त्यौहार मनाया जाता है. बहन अपने भाई के मस्तक पर तिलक लगाकर उसकी सलामती की प्रार्थना करती हैं.यह त्योहार उत्तर भारत में भी बड़ी आस्था से सम्पन्न होता है तथा इस त्योहार को “यम द्वितीया” के नाम से भी जाना जाता है.
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तमिलनाडु में दीपावली का यह त्यौहार कुछ अलग लेकिन अनोखे तरीके से मनाया जाता है. यहाँ अमावस्या की बजाये “नरक-चतुर्दशी” वाले दिन, भगवान् श्री कृष्ण द्वारा नरकासुर को मारे जाने की खुशी में स्थानीय लोग दीपावली मनाते हैं. लोग, इस दिन बड़े उत्साहपूर्वक ब्रह्ममूर्त में जाग कर, तेल से मालिश करके, नहाने के बाद मन्दिरों में जाकर भव्य पूजा-अर्चना करते हैं.
नये वस्त्र पहनने का इस दिन एक विशेष महत्त्व होता है.सबसे पहले घर का मुखिया स्नान करता है और तब वह, वे नये वस्त्र जो कि पहले से ही खरीद कर घर के पूजा स्थल में रखे गये होते हैं, घर के सभी अन्य सदस्यों को देता है ताकि वे सब इन्हें धारण कर सकें. अन्य प्रान्तों की तरह यहाँ, इस त्योहार पर अपने-अपने घरों में न तो लक्ष्मी पूजन किया जाता है और नए दीये अथवा मोमबत्तियां जलाई जाने की परम्परा है. पकवानों की भरमार होती है तथा हर द्वार चावल के आटे से बनाई गयी रंगोली से अति मन मोहक दिखाई देता है. खूब पटाखे चलाये जाते हैं.
दीपावली पर सावधानियां
कोई भी त्यौहार यदि सावधानी पूर्वक ना मनाया जाए तो वह खुशियों की जगह दुःख भरा हो सकता है. और चूँकि दिवाली में हम पटाखों का प्रयोग करते हैं, जो अपने आप में खतरनाक होते हैं, इसलिए हमें इस पर्व पर विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
- बच्चों को बड़ों की मौजूदगी में ही पटाखे छोड़ने चाहिए.
- बहुत तेज आवाज़ वाले पटाखे ना छोडें.
- जहाँ पर भी पटाखे छुडाएं उसके आस-पास बाल्टी में पानी भर कर रख लीजिये और एक कम्बल भी तैयार रखिये.
- जहाँ तक हो सके सूती के मोटे कपड़े पहन कर ही पटाखे छुडाएं.
- कभी भी नंगे पैर पटाखे ना छुडाएं.
- एक समय में एक ही आदमी पटाखे छुड़ाए.
- जो पटाखे ना फटें, उन्हें दोबारा न प्रयोग करें, उन्हें सुरक्षित जगह फेंक दें.
- घर के अन्दर किसी भी तरह के पटाखों का प्रयोग ना करें.
- जहाँ तक हो सके कम ही पटाखे छोडें और पर्यावरण को बचाएं
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अन्ततः मैं यही कहना चाहती हूँ कि हम दीपावली का परम-पावन त्यौहार खूब धूम-धाम और सावधानी के साथ मनाएं. साथ ही इस पर्व के इतिहास को याद करके भगवान् राम के जीवन से प्रेरणा लें और इस दुनिया को अपने अच्छे आचरण और कर्म से रौशन बनाएं.
रजनी सडाना
रजनी जी का ब्लॉग: http://readerblogs.navbharattimes.indiatimes.com/AatmBodh/
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We are grateful to Mrs. Rajni Sadana for sharing Hindi Essay on Diwali ( दीपावली पर हिंदी निबंध).
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Ravi Kumar says
bahut achha rajini je. it is a good essay on diwali. thanks
rohan says
Jabardast post sir, is article se mujhe bahut kuch pata chala hai. Thanks
Babita Singh says
Diwali पर बहुत ही अच्छा essay लिखा है आपने रजनी जी | बधाई |
Deepali Agrawal says
nice post..thanks for sharing
M.HARSHINI says
Thanks this helped me in doing project.
Anushka says
Thank you for the information
Jonathan says
Good essay guys. helped a lot in my studies.
Tulsi Nimal says
Thank you for a speech.
NAGESWAR AND TULSI says
Thank u for the speech because it help to do my PROJECT.
Kabir Singh says
Thanks for your Information, and now I will be able to present it in front of 296 students!