Hindi Essay on Yoga / योग पर निबंध
International Yoga Day Theme for 2022 : ”Yoga For Vasudhaiva Kutumbakam”
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की शुभकामनायें !
दोस्तों , आज की तेज रफ्तार जिंदगी में अनेक ऐसे पल हैं जो हमारी स्पीड पर ब्रेक लगा देते हैं। हमारे आस-पास ऐसे अनेक कारण विद्यमान हैं जो तनाव, थकान तथा चिड़चिड़ाहट को जन्म देते हैं, जिससे हमारी जिंदगी अस्त-व्यस्त हो जाती है। ऐसे में जिंदगी को स्वस्थ तथा ऊर्जावान बनाये रखने के लिये योग एक ऐसी रामबाण दवा है जो, माइंड को कूल तथा बॉडी को फिट रखता है। योग से जीवन की गति को एक संगीतमय रफ्तार मिल जाती है।
योग हमारी भारतीय संस्कृति की प्राचीनतम पहचान है। संसार की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद में कई स्थानों पर यौगिक क्रियाओं के विषय में उल्लेख मिलता है। भगवान शंकर के बाद वैदिक ऋषि-मुनियों से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है। बाद में कृष्ण, महावीर और बुद्ध ने इसे अपनी तरह से विस्तार दिया। इसके पश्चात पतंजली ने इसे सुव्यवस्थित रूप दिया।
पतंजली योग दर्शन के अनुसार – योगश्चित्तवृत्त निरोधः
अर्थात् चित्त की वृत्तियों का निरोध ही योग है।
योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा विज्ञान है… जीवन जीने की एक कला है योग। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं।
- पढ़ें: योग के 10 फायदे
पहला है- जोड़ और दूसरा है समाधि।
जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधि तक पहुँचना कठिन होगा अर्थात जीवन में सफलता की समाधि पर परचम लहराने के लिये तन, मन और आत्मा का स्वस्थ होना अति आवश्यक है और ये मार्ग और भी सुगम हो सकता है, यदि हम योग को अपने जीवन का हिस्सा बना लें। योग विश्वास करना नहीं सिखाता और न ही संदेह करना और विश्वास तथा संदेह के बीच की अवस्था संशय के तो योग बिलकुल ही खिलाफ है। योग कहता है कि आपमें जानने की क्षमता है, इसका उपयोग करो।
अनेक सकारात्मक ऊर्जा लिये योग का गीता में भी विशेष स्थान है। भगवद्गीता के अनुसार –
सिद्दध्यसिद्दध्यो समोभूत्वा समत्वंयोग उच्चते
अर्थात् दुःख-सुख, लाभ-अलाभ, शत्रु-मित्र, शीत और उष्ण आदि द्वन्दों में सर्वत्र समभाव रखना योग है।
महात्मा गांधी ने अनासक्ति योग का व्यवहार किया है। योगाभ्यास का प्रामाणिक चित्रण लगभग 3000 ई.पू. सिन्धु घाटी सभ्यता के समय की मोहरों और मूर्तियों में मिलता है। योग का प्रामाणिक ग्रंथ ‘योग सूत्र’ 200 ई.पू. योग पर लिखा गया पहला सुव्यवस्थित ग्रंथ है।
ओशो के अनुसार, ‘योग धर्म, आस्था और अंधविश्वास से परे एक सीधा प्रायोगिक विज्ञान है। योग जीवन जीने की कला है। योग एक पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। एक पूर्ण मार्ग है-राजपथ। दरअसल धर्म लोगों को खूँटे से बाँधता है और योग सभी तरह के खूँटों से मुक्ति का मार्ग बताता है।’
प्राचीन जीवन पद्धति लिये योग, आज के परिवेश में हमारे जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बना सकते हैं। आज के प्रदूषित वातावरण में योग एक ऐसी औषधि है जिसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है, बल्कि योग के अनेक आसन जैसे कि, शवासन हाई ब्लड प्रेशर को सामान्य करता है, जीवन के लिये संजीवनी है कपालभाति प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम मन को शांत करता है, वक्रासन हमें अनेक बीमारियों से बचाता है।
आज कंप्यूटर की दुनिया में दिनभर उसके सामने बैठ-बैठे काम करने से अनेक लोगों को कमर दर्द एवं गर्दन दर्द की शिकायत एक आम बात हो गई है, ऐसे में शलभासन तथा तङासन हमें दर्द निवारक दवा से मुक्ति दिलाता है। पवनमुक्तासन अपने नाम के अनुरूप पेट से गैस की समस्या को दूर करता है।
गठिया की समस्या को मेरूदंडासन दूर करता है। योग में ऐसे अनेक आसन हैं जिनको जीवन में अपनाने से कई बीमारियां समाप्त हो जाती हैं और खतरनाक बीमारियों का असर भी कम हो जाता है। 24 घंटे में से महज कुछ मिनट का ही प्रयोग यदि योग में उपयोग करते हैं तो अपनी सेहत को हम चुस्त-दुरुस्त रख सकते हैं। फिट रहने के साथ ही योग हमें पॉजिटिव एर्नजी भी देता है। योग से शरीर में रोग प्रतिरोध क्षमता का विकास होता है।
ये कहना अतिश्योक्ति न होगा कि, योग हमारे लिये हर तरह से आवश्यक है। यह हमारे शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिये लाभदायक है। योग के माध्यम से आत्मिक संतुष्टि, शांति और ऊर्जावान चेतना की अनुभूति प्राप्त होती है, जिससे हमारा जीवन तनाव मुक्त तथा हर दिन सकारात्मक ऊर्जा के साथ आगे बढता है। हमारे देश की ऋषि परंपरा योग को आज विश्व भी अपना रहा है। जिसका परिणाम है कि 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस ( International Yoga Day ) मनाये जाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रखे गये प्रस्ताव को 177 देशो ने अत्यंत सीमित समय में पारित कर दिया । और 21 जून 2015 को प्रथम अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस / First International Yoga Day पूरी दुनिया मे बड़े उत्साह के साथ मनाया गया और प्रत्येक वर्ष मनाया जा रहा है।
मित्रों, आज जिस तरह का खान-पान और रहन-सहन हो गया है, ऐसे में हम सब योग को अपनायें और अपने भारतीय गौरव को एक स्वस्थ पैगाम से गौरवान्वित करें।
गीता में लिखा है , “योग स्वयं की स्वयं के माध्यम से स्वयं तक पहुँचने की यात्रा है। “
आइये हम भी इस यात्रा में शामिल हो जाएं और इस जीवन को सफल बनाएं।
धन्यवाद !
अनिता शर्मा
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We are grateful to Anita Ji for sharing a very informative Hindi Essay On the occasion of International Yoga Day / Antarrashtirya Yog Diwas / अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस .
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Mai to samajhta hu ki yog humare present ko to banata hai saath hi future ko bhi! So keep yoga & avoid doctors!