देशभक्ति पर कविता / Hindi Poem on Patriotism
या जबरन का मानवाधिकार जरूरी है?
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तो क्या अभिव्यक्ति का अधिकार जरूरी है?
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बात बहुत हुई बरसों-तरसों,
अब एक लात जरूरी है।।
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छोड़ो करना चर्चा टेबल पर,
सर्जिकल स्ट्राइक दो-चार जरूरी है।।
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जब तक ख़तम हों ना जाएं ये कीड़े,
गोली की बौछार जरूरी है।।
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बुजदिल हमला करते छिप-छिप कर हम पर,
अब कुनबे मेें भी उनके हाहाकार जरुरी है।।
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चोटिल होती माँ की ममता घायल आँचल जिनसे है,
सीना ताने वो चलते हैं, अब उनकी हार जरुरी है ।।
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बेसुध बैठी है जनता हम खुद ही खुद मेें उलझे है,
जो सुलगे ना हम इन बलिदानों पर तो खुद पे धिक्कार जरुरी है।।
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काटे घर में बैठे दुश्मन एक ऐसी तलवार जरुरी है,
सेना की जान ज़रूरी है… सेना की जान ज़रूरी है…
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Er. Sunit Kumar Mishra
Lecturer Mech. Engg. Dept.
IMS Engg. College Ghaziabad
We are grateful to Sunit ji for sharing a great Hindi Poem on Patriotism. Indeed this poem shows the current situation in Kashmir, where our soldiers are being humiliated under cover of human rights.
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Note: This Hindi poem on patriotism may be used by students of class 5, 6, 7, 8, 9, 10, etc to recite on Independence Day or Republic Day
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Sumit Kumar says
You have shared a really good article, Thanks for this.