Dear Friends,
अक्सर किसी सफल व्यक्ति के लिए हम लोगों को कहते सुनते हैं कि वो बड़ा lucky है…बड़ा भाग्यशाली है. और इसका उल्टा भी होता है…किसी के fail होने पर कहा जाता है कि उसका भाग्य खराब है! पर ऐसा कहने वालों की भी कमी नहीं होती कि सफलता या असफलता इंसान के कर्म से निर्धारित होती है, यानी कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है.
आज हमारी डिबेट का टॉपिक इन्ही विरोधाभाषी विचारों को लेकर है. हमारा टॉपिक है-
कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!
आप इस विषय में क्या सोचते हैं?
यदि आपका सोचना है कि -“कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!” तो इस विषय के पक्ष यानि FOR में अपने तर्क comment के माध्यम से रखिये.
यदि आप इस बात से सहमत नहीं हैं कि -“कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!” तो इस debate topic के विपक्ष यानि AGAINST में अपने तर्क रखिये.
Please note:
- कोई व्यक्ति “For” और “Against” दोनों में तर्क नहीं दे सकता. आप पहले तय कर लीजिये कि आप पक्ष में हैं या विपक्ष में और उसी के मुताबिक अपना कमेंट डालिए.
- आप किसी के कमेन्ट को रिप्लाई करके उसे support या counter भी कर सकते हैं.
? कमेन्ट डालने के लिए इस पोस्ट के अंत में जाएं. कमेन्ट करते ही वे आपको साईट पर दिखाई नहीं देंगे. अप्प्रूव होने के बाद ही वे नज़र आयेंगे.
एक पेज पर अधिक से अधिक 10 latest comments ही दिखते हैं, पुराने कमेंट्स देखने के लिए केम्न्ट्स के अंत में दिए “Older Comments” लिंक पर क्लिक कीजिये.
A request: कृपया अपनी बातें numbering करके रखें. ऐसा करने से मुझे debate summarize करने में आसानी रहेगी.
कब तक चलेगी डिबेट ?
यह डिबेट Sunday (12/07/17) तक ओपन रहेगी*. यानि 12 जुलाई तक डाले गए कमेंट्स के हिसाब से ही-
- मैं यहाँ पर “For” और “Against” में दिए points को summarize करूँगा.
- Review Committee फैसला करेगी कि “For” वाले जीते या “Against” वाले.
*रिजल्ट आने तक
और इस दौरान किये गए कमेंट्स में से जिसका कमेंट सबसे प्रभावशाली होगी वही बनेगा- “The Most Effective Debater”
इस डिबेट का रिजल्ट कब पता चलेगा ?
Winner Group और “The Most Effective Debater” का नाम 12 July को ही इसी post में update कर दिया जाएगा.
तो चलिए अपनी डिबेटिंग स्किल्स दिखाइए और अपने तर्कों से आपे उलट विचार रखने वालों को भी अपनी बात मानने पर मजबूर कर दीजिये! 🙂
All the best!
RESULT OF THE DEBATE Updated- 12th July 2017
दोस्तों, Debate 1: “कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!” में हिस्सा लेने के लिए आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद.
एक और शानदार डिबेट, लेकिन पूरी तरह “कर्म” के पक्ष में. कुछ एक लोगों ने तो इतने जबरदस्त तर्क रखें हैं कि पढ़ने में बहुत मजा आया और एक inspiration भी मिली. खासतौर से अभय दीक्षित जी ने और अटूट बन्धन ब्लॉग से वंदना बाजपेयी जी ने तो इस वाद-विवाद प्रतियोगिता का स्तर काफी ऊँचा कर दिया.
तो चलिए मैं पक्ष और विपक्ष में दिए गए तर्कों को summarize करता हूँ. पहले की तरह ही मैं इस बार भी सीधा कमेंट्स सेक्शन से points pick कर के यहाँ mention कर रहा हूँ.
For
- कर्म भाग्य से बड़ा होता है’- मैं इसमें विश्वास करता हूं। क्योंकि कर्म करके आप अपनी भाग्य बदल सकते है, ये अाशा आप से कोई नहीं छीन सकता।
- “Work is worship -According to Ramayana & GEETA:- “Karm pradhan vishwa rachi rakha jo jas kare tasu phal chakha” Do his duties honestly ,make his luck.
- Karm se hi luck ka nirman hota h,jaisa hm karm krenge waisa hi hmara bhagya bnega .So bhagya se bada karm h.
- Ishwar(god) ne hamare bhaag(kismat) ki rekha(lakir) hath mein isliye banayi hai chunki hum ise parishram(mehnat) karke apne bhaag ko badal sake isilye karma bhag se bada hota hai.
- birds is flying in the air due to its effort but paper is flying in the air due to its luck.
- ae dost mat kar in hath ki lakiro par bharosa kyunki kismat unki bhi hoti hai jinke hath nhi hote
- जिस तरह एक मूर्तिकार अपने हातो से मूर्तिको आकर देता है उसी तरह हम भी अपने कर्मो से अपना जीवन बदल सकते है.
- खुद को भाग्य के भरोसे वही छोड़ता है जो कर्म नहीं करना चाहता। कर्म करने से ही भाग्य बनता है। जिसको कर्म में जितना विश्वास है वह व्यक्ति उतना ही सक्सेस होगा। हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहने से न ही भाग्य साथ देता है और न कर्म ही होता है।
- Newton law se every action has an equal & opposite reaction.. To karm hua to result aayega h aur ye result kanhi positive aayega ya negetive wahi bhagya hai..
- Karm pradhan vishv kr rakh,jo js kr hi so ts fl chakha.…..arthat vishv m krm hi pradhan h…jo jaisa karm krta h vaisa hi fl milta h. krm se hi bhagya k nirman hota h.n ki bhagya se krm ka..
- Bhagye kese bda ho sakta hai jo khud karm krne se uttpan hota hai
- Nar apana karm kare to “Nar” se “Narayan” ho sakata hai. Karm bada hai.
- कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है भाग्य के भरोसे एक समय का भोजन भी संभव नहीं है.
- Bhikhari ko bhi mangna padata hai tabhi use kuch mil pata hai matalab is duniya me kuch bhi aise hi nahi milta… kuch na kuch karm karana padata hai.
- Karm hi bhagya se bada hai, marathi me ek muhavara hai” Asel hari tar deil khatlyawari’ aaise sochate betenge to hamare hat mai kuchh bhi nahi aayega.
- Geeta mai bhi shrikrishnene kaha hai “karmne vadhikaraste maa faleshu kadachan……….” means Kam krte ja, madat milengi lekin fal ki apeksha mat krna
- ek story hai jab aambari namak ek hathi tha vh talab mai fas gaya usne bahot koshish ki uss kichad se bahar nikal ne ka but nahi nikla last mai usne bhagvan ko yad kiya bghvan ne uski madat ki, because god ne madat isliye kiya ki usne 1st try kiya and last mai bhagwan ko bulaya vahi same aapne bhagya and karm ka hota hai agr hum karm krenge to aapne nasib mai jo hai vh automatically mil hi jayega means karm ka fal.
- कर्म ही बड़ा होता है, इसीलिए ये नहीं कहते कि “भाग्य ही पूजा है” बल्कि ये कहते हैं कि “कर्म ही पूजा है”
- I believe that karma is the root of everything….Jaisi karani vesi Bharani………
- भगवान् के भरोसे मत बैठो….का पता…भगवान् तुम्हरे भरोसे बैठा हो?
- Log kehte h, Jo bhagye mei likha hota h ,whi hota h… but bhagya likhata kon h, kya GOD likhate h haamara bhagya ? Nahi, hm apna bhagya khud apne karmon se likhte hain…
- कर्म करने वालों से जो बच जाता है वही भाग्य पर भरोसा करने वालों को मिलता है”
- भाग्य कुछ नहीं होता बस भविष्य होता है कर्म सोच और मेहनत का परिणाम है. अगर आप सही कर्म के सारे दाव पेंच अच्छे से निभा रहे है..तो याद रखिये.. भाग्य आपके साथ नहीं बल्कि साक्षात भगवान् आपके साथ है !
अभय दीक्षित जी का कमेन्ट
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा: ।।
अर्थात:- मेहनत से ही कार्य पूरे होते हैं, सिर्फ इच्छा करने से नहीं। जैसे सोये हुए शेर के मुँह में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करता बल्कि शेर को स्वयं ही प्रयास करना पड़ता है।
- “कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती कोशिश करने वालों की हार नहीं होती” मतलब कर्म तो करना ही होगा भगवान और भाग्य के भरोसे रहने सी कुछ नहीं होता क्योंकि भगवान भी उसी का साथ देते हैं जो खुद का साथ देता है. “दैव-दैव आलसी पुकारा”- आलसी ही दैव (भाग्य) का सहारा लेता है.
- जुगनू तभी तक चमकता हैं जब तक उड़ता है आप भी तभी तक प्रगति करते है जब तक कर्म करते है दूर के ढोल सभी को सुहावने लगते है पर वास्तविकता में आप देखेंगे कि हर फेमस और महान इंसान ने जीवन में कितनी मेहनत कि है चाहे वो राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन हों या बॉक्सर मुहम्मद अली हों पर कहने वाले तो यही कहेंगे –
- देखो भाग्य ….चाय वाला प्रधानमंत्री बन गया.( नरेंद्र मोदी )
- देखो भाग्य …..रिक्शे वाले का बेटा आईएएस अफसर बन गया ( गोविन्द जयसवाल ) अरे भाग्य क्या उनका कर्म देखो तुम्हारे आंसूं निकल आएंगे जब उनके संगर्ष (कर्म) की कहानी सुनोगे.
- अगर थॉमस अल्वा एडिसन और हरलैंड सांडर्स जैसे लोग भाग्य के भरोसे होते तो दो – तीन बार असफल होने पर ही हार मन लेते लेकिन उन्होंने कर्म किया एडिसन 1000 और सांडर्स 1009 बार असफल होने के बाद सफल हुए.
- जब विल्मा रुडोल्फ को पोलियो हुआ और Karoly Takacs जिस हाथ से शूटिंग करते थे उस हाथ में हथगोले का विस्फोट हो गया और वो हाथ बिलकुल बेकार हो गया तो लोगों ने तो यही कहा होगा देखो इनका भाग्य कितना ख़राब है पर दुनिया जानती है इन्होने कैसे कर्म कर अपना भाग्य बनाया और दोनों ने आत्मशक्ति के बल पर अपने अपने स्पोर्ट में ओलिंपिक में गोल्ड मैडल जीता और कर्म की महानता को सिद्ध किया
खुदी को कर बुलंद इतना कि हर तकदीर से पहले
खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
वंदना बाजपेयी जी का कमेन्ट
“भाग्य बड़ा है या कर्म” ये एक ऐसा प्रश्न है जिसका सामना हम रोजाना की जिन्दगी में करते रहते है | इसका सीधा – सादा उत्तर देना उतना ही कठिन है जितना की “पहले मुर्गी आई थी या अंडा “का | वास्तव में देखा जाए तो भाग्य और कर्म एक सिक्के के दो पहलू हैं | कर्म से भाग्य बनता है और ये भाग्य हमें ऐसी परिस्तिथियों में डालता रहता है जहाँ हम कर्म कर के विजयी सिद्ध हों या परिस्तिथियों के आगे हार मान कर हाथ पर हाथ रखे बैठे रहे और बिना लड़े ही पराजय स्वीकार कर लें | भाग्य जड़ है और कर्म चेतन | चेतन कर्म से ही भाग्य का निर्माण होता है | जैसा की जयशंकर प्रसाद जी “ कामायनी में कहते हैं की
कर्म का भोग, भोग का कर्म,
यही जड़ का चेतन-आनन्द।
अब मैं अपनी बात को सिद्ध करने के लिए कुछ तर्क देना चाहती हूँ | जरा गौर करियेगा की हम कहाँ – कहाँ भाग्य को दोष देते हैं पर हमारा वो भाग्य किसी कर्म का परिणाम होता है |
1)हमारी भारतीय संस्कृति जीवन को जन्म जन्मांतर का खेल मानते हुए कर्म से भाग्य और भाग्य से कर्म के सिद्धांत पर टिकी हुई है |गीता का तीसरा अध्याय कर्मयोग के नाम से ही जाना जाता हैं | ये सच है की जन्म – जन्मांतर को तार्किक दृष्टि से सिद्द नहीं किया जा सकता | फिर भी कर्म योग के ये सिद्धांत आज विश्व के अनेक विकसित देशों में MBA के students को पढाया जा रहा है | और और इसे पुनर्जन्म पर नहीं तर्क की दृष्टि से सिद्ध किया जा रहा है | जैसा की प्रभु श्री कृष्ण गीता में कहते हैं की ..
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
उसकी तार्किक व्याख्या इस प्रकार दी जाती है की ….फल की चिंता अर्थात स्ट्रेस या तनाव जब हम कोई काम करते समय जरूरत से ज्यादा ध्यान फल या रिजल्ट पर देते हैं तो तनाव का शिकार हो जाते हैं | तनाव हमारी परफोर्मेंस पर असर डालता है | हम लोग दैनिक जीवन की मामूली से मामूली बातों में देख सकते हैं की स्ट्रेस करने से थकान महसूस होती है , एनर्जी लेवल डाउन होता है और काम बिगड़ जाता है |पॉजिटिव थिंकिंग की अवधारणा इसी स्ट्रेस को कम करने के लिए आई | मन में अच्छा सोंच कर काम शुरू करो , जिससे काम में जोश रहे , दिमाग फ़ालतू सोंचने के बजाय काम पर फोकस हो सके | कई बार पॉजिटिव थिंकिंग के पॉजिटिव रिजल्ट देखने के बाद भी हम अपनी निगेटिव थिंकिंग को दोष न देकर कहते हैं …. अरे पॉजिटिव , निगेटिव थिंकिंग नहीं ये तो भाग्य है |
२ ) कई बार जिसे हम भाग्य समझ कर दोष देते हैं वो हमारा गलत डिसीजन होता है | उदाहरण के लिए किसी बच्चे की रूचि लेखक बनने की है | पर माता – पिता के दवाब में , या दोस्तों के कहने पर बच्चा गणित ले लेता है | निश्चित तौर पर वो उतने अच्छे नंबर नहीं लाएगा | हो सकता है फेल भी हो जाए | अब परिवार के लोग सब से कहते फिरेंगे की मेरा बच्चा तो दिन रात –पढता है पर क्या करे भाग्य साथ नहीं देता |मैंने ऐसे कई बच्चे देखे जिन्होंने तीन , चार साल मेडिकल या इंजिनीयरिंग की रोते हुए पढाई करने के बाद लाइन चेंज की | और खुशहाल जिन्दगी जी | बाकी उसी को बेमन से पढ़ते रहे , असफल होते रहे और भाग्य को दोष देते रहे | क्या आप को नहीं लगता हमीं हैं जो भाग्य की ब्रांडिंग करते हैं |
३) इसी प्रतियोगिता में ही शायद मैंने पढ़ा था की हर चाय वाला मोदी नहीं हो जाता | यानी हम ये मान कर चलते हैं की हर अँगुली बराबर होती है | प्रतिभा को हमने सिरे से ख़ारिज कर दिया , और उन स्ट्रगल्स को भी जो मोदी ने मोदी बनने के दौरान की | पूरे देश घूम – घूम कर जनसभाएं की | लोगों से जुड़ने का प्रयास किया | उनकी समस्याएं समझी , सुलझाई | क्या हर चाय वाला इतना करता है | या इतना महत्वाकांक्षी भी होता है | हम सब ने बचपन में संस्कृत का एक श्लोक पढ़ा है |
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
हम ये श्लोक पढ़कर एग्जाम पास कर लेते हैं | पर तर्क ये देते हैं की हम भी चाय बेंचते हैं | फिर हम मोदी क्यों नहीं बने | चाय वाला =चायवाला , सबको मोदी बनना चाहिए | अरे ,ये तो भाग्य है |
4) अब जरा गौर करते हैं , उन किस्सों पर जिनमें शुरू में प्रतिभा बराबर होती है | कई बार शुरूआती प्रतिभा बराबर होने के बाद भी हम लगातार उतने सफल नहीं हो पाते | क्योंकि एक बार सफलता पाना और उसे बनाए रखना दो अलग – अलग चीजे हैं | उसके लिए अनुशासन , फोकस , अपने अंदर जूनून को जिन्दा रखना , असफल होने के बाद भी प्रयास न छोड़ना आदि कर्म आते हैं | जो लगातार करने पड़ते है | चोटी पर बैठा व्यक्ति जिस स्ट्रेस को झेलता है , उस के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना पड़ता है |
Our greatest weakness lies in giving up. The most certain way to succeed is always to try just one more time. — Thomas Edison
काम्बली और तेंदुलकर का उदहारण अक्सर दिया जाता है |क्या सचिन तेंदुलकर की निष्ठा जूनून , लगन , अनुशासित जीवन और हार्ड वर्क को हम नकार सकते हैं | पर हम किसी लगातार सफल व्यक्ति के ये गुण खुद में उतारने के स्थान पर लगेंगे भाग्य को दोष देने |
5 ) एक और स्थान जिसे हम भाग्य के पक्ष में रखते हैं | एक ही समय पैदा हुए बच्चों में एक राजा के यहाँ पैदा होता है और एक भिखारी के यहाँ | अब अगर आप पिछले जन्म में किये गए कर्म कों नहीं मानते तो आप इसे विज्ञान के अनुसार “रैंडम सिलेक्शन ऑफ़ नेचर “ कह सकते हैं | पर फिर भी कर्म के आधार पर इसे बदला जा सकता है | जैसा की बिल गेट्स कहते हैं-
आप गरीब घर में पैदा हुए इसमें आपकी कोई गलती नहीं है पर अगर आप गरीब मर जाते है तो इसमें आप की गलती है |
न जाने कितने नाम हैं जिन्होंने महागारीबी से महाअमीरी तक का सफ़र तय किया |ये मंजिलें तय करने के लिए उन्हें बहुत मेहनत और योजनाबद्ध तरीके से काम करना पड़ा | हम सब जानते हैं असफलताओं और मेहनत से भरा ये सफ़र आसान नहीं है | आसान तो यह कहना है की हमारा तो बचपन से ही भाग्य खराब है |
अंत में, अब अगर मेरे विचार आपको तार्किक लगें व् कर्म की ओर प्रेरित करें तो आप इसे क्या कहेंगे … “ मेरा कर्म या मेरा भाग्य “ फैसला आप पर है
Against
- भाग्य का खेल तो इंसान के जन्म से ही शुरू हो जाता है…कोई अमीर घर में तो कोई गरीब घर में पैदा होता है…ये भाग्य ही तो है…कर्म तो जन्म के बाद शुरू होता है! और अगर आप पूर्व जन्म की बात करें तो फिर उस लॉजिक से कुछ भी समझाया जा सकता है!
- हज़ारों लोग कड़ी मेहनत करते हैं पर कुछ ही लोग सफलता पाते हैं…चाहे वो खेल हो, पढाई हो या फिर एक्टिंग, सिंगिंग, डांसिंग कुछ भी हो. विनोद काम्बली और सचिन को ही ले लें….दोनों एक जैसे मेहनती थे पर भाग्य ने एक को कहाँ पहुंचा दिया और दुसरे को कहाँ छोड़ दिया.
- हर साल लाखों युवा हीरो बनाने मुंबई जाते हैं, पर क्या हेमशा वही हीरो बनता है जो सबसे मेहनती होता है….नहीं, यहाँ पर भी luck factor काम करता है वरना सभी हीरो बन जाते.
- अगर कर्म ही बड़ा होता तो लाखों-करोड़ों लोग हाथों में अंगूठियाँ नहीं पहनते…जिसमे नीलम पहनने वाले अमिताभ बच्हन जैसी हस्ती भी शामिल हैं.
- दुनिया में कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें scientifically समझाया नहीं जा सकता….लक भी उन्ही में से एक है, पर अगर कोई चीज समझाई नहीं जा सकती तो इसका ये मतलब नहीं है कि वो है ही नहीं.
- Luck बड़ी चीज है…उसके बिना कर्म करते-करते ज़िन्दगी बीत जाती है पर कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाती!
- Do vyakti apne apne khet me kua khodate hai ak vykti ke kue se pani nikal ata hai dusre ke kue me pani nahi nikalta ye kaya hi!
- karm insaan ke haath me hai…. bahagya Bhagwaan ke…. aur jo bhi Bhagwaan ke haath me hai wahi bada hai…yani Bhagya karm se bada hai.
- I think in most of cases luck prevails over labour or karma. I have seen many of such people who had never been serious about their career and spent time aimlessly with friends and still got good job. And on other hand good and laborious student who seriously pursuits their career and work hard and still they remained jobless.
- Jb insan dunia m jnm lenta h uska bhagya pehle hi teh ho jata h .karm to vo bad m krta h…es lyi luck overweigh the karma ..bcoz jo luck m likha hota h krm b usi ke acc hote h
- कर्म और भाग्य मे भाग्य बड़ा होता है,कर्म भी हम भाग्य अनुसार ही करते हैं|
- जब समय ख़राब हो तो ऊंट पर बैठे इंसान को भी कुत्ता काट लेता है…
- राजकीय सेवा पाने के लिए संघर्षरत कोई युवा जब प्रतियोगिता में अपेक्षित प्रतिशत प्राप्तांक प्राप्त करने के बाद भी सिर्फ इस लिए उसे चयनित नही किया जाता की उसे संविधान में आरक्षण प्राप्त नही है। आप उस युवा की इस आधारहीन विफलता पर उससे क्या कहेंगे की कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता हैं???????
- आज एक बालक निजी विद्यालय में पढ़ता हे और दूसरा शिक्षा से वंचित है ,क्या ये उस बालक का दुर्भाग्य नही?
रंजीत पासवान जी का एक neutral view जो अच्छा लगा यहाँ include कर रहा हूँ:
एक बूँद के भाग्य में क्या है वो धरा पे गिरकर मिट्टी में मिल जायेगी या सीप में गिर के मोती बन जायेगी ये तभी सुनिश्चित होगा जब वो बादलों को छोड़ने का कर्म करेगी. ठीक उसी प्रकार हम मनुष्यों के भाग्य में कितना है यह कर्म करने के पश्चात ही सुनिश्चित होता है!! अतः ना ही कर्म बड़ा है ओर ना ही भाग्य….. भाग्य एक ताला है और कर्म उसकी चाबी !!!
Winner
हमारी रिव्यु कमिटी ने पक्ष और विपक्ष में रखे गए तर्क के अनुसार निर्णय लिया है कि –
विजेता वो ग्रुप है जिसने पक्ष यानि FOR में अपने तर्क रखे.
यानि कमिटी का मानना है कि “कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता है!” का सपोर्ट करने वाले लोग WINNER हैं.
और
THE MOST EFFECTIVE DEBATER
का खिताब जाता है—-
वंदना बाजपेयी
जी को, जिन्होंने अपने पॉइंट्स “For the motion” में रखे थे. आपको बहुत-बहुत बधाई!
Thank You everybody for your participation. हम जल्द ही एक नयी डिबेट के साथ हाज़िर होंगे! धन्यवाद.
इन डिबेट्स को भी देखें
- Debate 1: स्कूल में स्टूडेंट्स को स्मार्ट फ़ोन के इस्तेमाल की अनुमति होनी चाहिए!
- Debate 2: कैपिटल पनिशमेंट यानि फाँसी की सजा पर रोक लगनी चाहिए!
- Debate 3: डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं होनी चाहिए!
Gaurav bidla says
Jesa beej aap daloge vesi aapki fasal hogi….. .
Yani jesa aap karam kroge vesa aapka bhagya bnegaa
Akhilesh Kumar says
bahut achhi jakari di hai sir ji aapne, is article ko padhte hi mere man me ek junun sa sawaar ho gya.
thanks
मनीष says
कर्म ही धर्म है ये बात आजतक तो हमलोग भी सुनते आ रहे है लेकिन आज भी हमलोग इस उलझन में उलझे है कि अच्छे और बुरे कर्म का अंतर क्या है अगर कर्म ही धर्म है तो कोई भी कर्म बुरा नही होगा?
vandana bajpai says
सभी पाठकों और achhikhabar.com की रिव्यु कमिटी को हार्दिक धन्यवाद
Abhay Dixit says
वंदना जी तथ्यों को जिस प्रकार आपने प्रस्तुत किया है वो वाकई कबीले तारीफ़ है
रवि कुमार says
विपक्ष
1.जी हां हम प्रतिदिन इस प्रश्न का सामना करते है की कर्म बड़ा है या भाग्य??
यह कह पाना की दोनों में कोन बड़ा है वर्तमान परिस्थियों में बहुत मुश्किल प्रतीत होता हैं, आप और मैं यानी हम सब बचपन से सुनते पढ़ते आ रहे है की कर्म बड़ा है लेकिन यदि हम अपने परिवेश यथार्थ मूल्यांकन करे तो वर्तमान में भाग्य बड़ा प्रतीत होता हैं, किसी बन्धु ने कहा की कर्म बड़ा होता ऐसा हमारी पवित्र ग्रन्थ श्रीमद् भगवद् गीता में लिखा है,जी हां लिखा हे और वह शाश्वत सत्य भी हे ,मैं स्वयं भी इसमें विश्वास करता हूँ फिर भी मैं विपक्ष अपने तर्क और प्रश्न रख रहा हूँ ,आप जवाब दे
आप निम्न परिस्थितियों पर गोर फरमाये
1.राजकीय सेवा पाने के लिए संघर्षरत कोई युवा जब प्रतियोगिता में अपेक्षित प्रतिशत प्राप्तांक प्राप्त करने के बाद भी सिर्फ इस लिए उसे चयनित नही किया जाता की उसे संविधान में आरक्षण प्राप्त नही है। आप उस युवा की इस आधारहीन विफलता पर उससे क्या कहेंगे की कर्म हमेशा भाग्य से बड़ा होता हैं???????
2.आज एक बालक निजी विद्यालय में पढ़ता हे और दूसरा शिक्षा से वंचित है ,क्या ये उस बालक का दुर्भाग्य नही?
3.यदि कर्म बड़ा हे तो बीरबल ,अकबर से ज्यादा कर्मनिष्ठ और बुद्धि शाली था वह राजा क्यों नही बना??
4.आज भी हम जंगल का राजा शेर को कहते हे न की गधे को ,जबकि गधा अन्य जीवो की तुलना में मेहनती और कर्मनिष्ठ है
5.अपूर्ण शिक्षित आज बड़ी से बड़ी कम्पनी के मालिक ceo हे और उनसे ज्यादा शिक्षित नोकर ? आखिर कोन बड़ा??
6.ias ras व् कई प्रशासनिक पद जिन पर उच्च शिक्षित व् कर्मशील व्यक्ति ही आरूढ़ होता हे लेकिन इन सबके ऊपर जो मंत्री होते हे जरा उन्हें देखिये क्या वे वास्तव में इतने कर्म शील हे की वह उस पद को धारण कर सके? जिन्होंने प्राथमिक शिक्षा तक पूर्ण नही की वे आज मंत्री हे तो बताइये क्या ये उनका भाग्य हे या फिर भी आप कहेंगे की ये उनका कर्म है?????????
धन्यवाद
उपरोक्त तर्क मात्र डिबेट के दृष्टिकोण से लिखे गए हे, डिबेट का अभ्यास मात्र
Rajdeep Jaiswal says
FOR
KARM HI BADA HAI.
Q Ki Jo ham Karm krte hai Vahi aage chal Kr Hamara bhagya banta hai. Kisi Kavi ne Kaha hai BOYA PED BABOOL KA AAM KAHA SE HOI. Ham aaj Jo bhi sahi – galat
Accha – bura Vahi aage hamare bhagya k roop me hamare Samne aata hai. Fir ham bhagya ko dosh dete hai. SO Karm hi bada hai.
HIRESH CHANGRANI says
FOR
सबसे पहले, मैं इस बात में पूरा विश्वास रखता हूँ
की कर्म भाग्य से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है..
बल्कि कर्म और भाग्य की दौड़ में कर्म कही मील आगे है..
ईश्वर ने इस संसार में हर कार्य को लेवल्स में बाँट कर बोनस पॉइंट्स निर्धारित किये है…
जैसे जैसे कोई लेवल्स पार करता जाता है..
उसे बोनस पॉइंट्स मिलते जाते है..
जिसे हम भाग्य कहते है..
भाग्य लगभग पूरे तरीके से कर्म पर आश्रित है..
कोई भी सफल व्यक्ति की जीवनशैली अगर आप बड़ी बारीकी से देखेंगे..तो आप पाएंगे..- सही दिशा का चुनाव, मेहनत , ईश्वर में अटूट विश्वास अन्य बहुत सी बातें…
आपने ये भी सुना होगा..कोई बहुत मेहनत करके सफल नहीं हुआ..और कोई कम मेहनत करके बहुत ज्यादा सफल..
ये फर्क सिर्फ इसीलिए है क्यूंकि सफल होना सिर्फ एक फैक्टर पर आधारित नहीं है..
सफल होने के लिए फैक्टर्स का प्रॉपर कॉम्बिनेशन चाहिए जैसे आप किस दिशा में मेहनत कर रहे है , आपका व्यव्हार , बातचीत शैली , स्वास्थ्य वगैरह
आपको हर डिपार्टमेंट में अच्छा करना होगा..
तब भाग्य भी आपका पूरा साथ देगा..
अगर आप सही कर्म के सारे दाव पेंच अच्छे से निभा रहे है..
तो याद रखिये..
भाग्य आपके साथ नहीं
बल्कि साक्षात भगवान् आपके साथ है !
हर हर महादेव
atoot bandhan says
भाग्य बड़ा की कर्म
इस प्रतियोगिता में मैं कर्म के पक्ष में हूँ
“ भाग्य बड़ा है या कर्म “ ये एक ऐसा प्रश्न है जिसका सामना हम रोजाना की जिन्दगी में करते रहते है | इसका सीधा – सादा उत्तर देना उतना ही कठिन है जितना की “पहले मुर्गी आई थी या अंडा “का | वास्तव में देखा जाए तो भाग्य और कर्म एक सिक्के के दो पहलू हैं | कर्म से भाग्य बनता है और ये भाग्य हमें ऐसी परिस्तिथियों में डालता रहता है जहाँ हम कर्म कर के विजयी सिद्ध हों या परिस्तिथियों के आगे हार मान कर हाथ पर हाथ रखे बैठे रहे और बिना लड़े ही पराजय स्वीकार कर लें | भाग्य जड़ है और कर्म चेतन | चेतन कर्म से ही भाग्य का निर्माण होता है | जैसा की जयशंकर प्रसाद जी “ कामायनी में कहते हैं की
कर्म का भोग, भोग का कर्म,
यही जड़ का चेतन-आनन्द।
अब मैं अपनी बात को सिद्ध करने के लिए कुछ तर्क देना चाहती हूँ | जरा गौर करियेगा की हम कहाँ – कहाँ भाग्य को दोष देते हैं पर हमारा वो भाग्य किसी कर्म का परिणाम होता है |
1)हमारी भारतीय संस्कृति जीवन को जन्म जन्मांतर का खेल मानते हुए कर्म से भाग्य और भाग्य से कर्म के सिद्धांत पर टिकी हुई है |गीता का तीसरा अध्याय कर्मयोग के नाम से ही जाना जाता हैं | ये सच है की जन्म – जन्मांतर को तार्किक दृष्टि से सिद्द नहीं किया जा सकता | फिर भी कर्म योग के ये सिद्धांत आज विश्व के अनेक विकसित देशों में MBA के students को पढाया जा रहा है | और और इसे पुनर्जन्म पर नहीं तर्क की दृष्टि से सिद्ध किया जा रहा है | जैसा की प्रभु श्री कृष्ण गीता में कहते हैं की ..
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
उसकी तार्किक व्याख्या इस प्रकार दी जाती है की ….फल की चिंता अर्थात स्ट्रेस या तनाव जब हम कोई काम करते समय जरूरत से ज्यादा ध्यान फल या रिजल्ट पर देते हैं तो तनाव का शिकार हो जाते हैं | तनाव हमारी परफोर्मेंस पर असर डालता है | हम लोग दैनिक जीवन की मामूली से मामूली बातों में देख सकते हैं की स्ट्रेस करने से थकान महसूस होती है , एनर्जी लेवल डाउन होता है और काम बिगड़ जाता है |पॉजिटिव थिंकिंग की अवधारणा इसी स्ट्रेस को कम करने के लिए आई | मन में अच्छा सोंच कर काम शुरू करो , जिससे काम में जोश रहे , दिमाग फ़ालतू सोंचने के बजाय काम पर फोकस हो सके | कई बार पॉजिटिव थिंकिंग के पॉजिटिव रिजल्ट देखने के बाद भी हम अपनी निगेटिव थिंकिंग को दोष न देकर कहते हैं …. अरे पॉजिटिव , निगेटिव थिंकिंग नहीं ये तो भाग्य है |
२ ) कई बार जिसे हम भाग्य समझ कर दोष देते हैं वो हमारा गलत डिसीजन होता है | उदाहरण के लिए किसी बच्चे की रूचि लेखक बनने की है | पर माता – पिता के दवाब में , या दोस्तों के कहने पर बच्चा गणित ले लेता है | निश्चित तौर पर वो उतने अच्छे नंबर नहीं लाएगा | हो सकता है फेल भी हो जाए | अब परिवार के लोग सब से कहते फिरेंगे की मेरा बच्चा तो दिन रात –पढता है पर क्या करे भाग्य साथ नहीं देता |मैंने ऐसे कई बच्चे देखे जिन्होंने तीन , चार साल मेडिकल या इंजिनीयरिंग की रोते हुए पढाई करने के बाद लाइन चेंज की | और खुशहाल जिन्दगी जी | बाकी उसी को बेमन से पढ़ते रहे , असफल होते रहे और भाग्य को दोष देते रहे | क्या आप को नहीं लगता हमीं हैं जो भाग्य की ब्रांडिंग करते हैं |
३) इसी प्रतियोगिता में ही शायद मैंने पढ़ा था की हर चाय वाला मोदी नहीं हो जाता | यानी हम ये मान कर चलते हैं की हर अँगुली बराबर होती है | प्रतिभा को हमने सिरे से ख़ारिज कर दिया , और उन स्ट्रगल्स को भी जो मोदी ने मोदी बनने के दौरान की | पूरे देश घूम – घूम कर जनसभाएं की | लोगों से जुड़ने का प्रयास किया | उनकी समस्याएं समझी , सुलझाई | क्या हर चाय वाला इतना करता है | या इतना महत्वाकांक्षी भी होता है | हम सब ने बचपन में संस्कृत का एक श्लोक पढ़ा है |
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः ॥
हम ये श्लोक पढ़कर एग्जाम पास कर लेते हैं | पर तर्क ये देते हैं की हम भी चाय बेंचते हैं | फिर हम मोदी क्यों नहीं बने | चाय वाला =चायवाला , सबको मोदी बनना चाहिए | अरे ,ये तो भाग्य है |
4) अब जरा गौर करते हैं , उन किस्सों पर जिनमें शुरू में प्रतिभा बराबर होती है | कई बार शुरूआती प्रतिभा बराबर होने के बाद भी हम लगातार उतने सफल नहीं हो पाते | क्योंकि एक बार सफलता पाना और उसे बनाए रखना दो अलग – अलग चीजे हैं | उसके लिए अनुशासन , फोकस , अपने अंदर जूनून को जिन्दा रखना , असफल होने के बाद भी प्रयास न छोड़ना आदि कर्म आते हैं | जो लगातार करने पड़ते है | चोटी पर बैठा व्यक्ति जिस स्ट्रेस को झेलता है , उस के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करना पड़ता है |
Our greatest weakness lies in giving up. The most certain way to succeed is always to try just one more time. — Thomas Edison
काम्बली और तेंदुलकर का उदहारण अक्सर दिया जाता है |क्या सचिन तेंदुलकर की निष्ठा जूनून , लगन , अनुशासित जीवन और हार्ड वर्क को हम नकार सकते हैं | पर हम किसी लगातार सफल व्यक्ति के ये गुण खुद में उतारने के स्थान पर लगेंगे भाग्य को दोष देने |
5 ) एक और स्थान जिसे हम भाग्य के पक्ष में रखते हैं | एक ही समय पैदा हुए बच्चों में एक राजा के यहाँ पैदा होता है और एक भिखारी के यहाँ | अब अगर आप पिछले जन्म में किये गए कर्म कों नहीं मानते तो आप इसे विज्ञान के अनुसार “रैंडम सिलेक्शन ऑफ़ नेचर “ कह सकते हैं | पर फिर भी कर्म के आधार पर इसे बदला जा सकता है | जैसा की बिल गेट्स कहते हैं की..
आप गरीब घर में पैदा हुए इसमें आपकी कोई गलती नहीं है पर अगर आप गरीब मर जाते है तो इसमें आप की गलती है |
न जाने कितने नाम हैं जिन्होंने महागारीबी से महाअमीरी तक का सफ़र तय किया |ये मंजिलें तय करने के लिए उन्हें बहुत मेहनत और योजनाबद्ध तरीके से काम करना पड़ा | हम सब जानते हैं असफलताओं और मेहनत से भरा ये सफ़र आसान नहीं है | आसान तो यह कहना है की हमारा तो बचपन से ही भाग्य खराब है |
तर्क बहुत सारे हैं , जो ये सिद्ध करते हैं की जिसे हम भाग्य कहते हैं वो हमारे कर्मों से ही बनता है | वैसे इस प्रतियोगिता में मेरा भाग लेने का इरादा नहीं था | पर जैसा की मैंने शुरू में ही कहा की “ भाग्य बड़ा है या कर्म “ ये एक ऐसा प्रश्न है जिसका सामना हम रोजाना की जिन्दगी में करते रहते है |और रोज कन्फ्यूज होते रहते हैं |इसलिए मैंने इस विषय पर लिखने का मन बनाया | अब अगर मेरे विचार आपको तार्किक लगें व् कर्म की ओर प्रेरित करें तो आप इसे क्या कहेंगे … “ मेरा कर्म या मेरा भाग्य “
फैसला आप पर है
Shabdbeej says
सबसे बड़ी बात
“कर्म करने वालों से जो बच जाता है वही भाग्य पर भरोसा करने वालों को मिलता है”